Tuesday, October 29, 2013

आज फिर उनसे मुलाकात हो गयी

आज फिर उनसे मुलाकात हो गयी
दिल से दिल की चुपके से बात हो गयी !!

डर था, भीड़ बहुत है, निगाहें कमज़ोर हैं 
मगर उस खुशबू से उनकी पहचान हो गयी !!

किसी ने एक लफ्ज़ भी न कहा
मगर पलकों में सवाल-जवाब हो गयी !!

हिदायत मिली थी दूर रहने की
मगर नज़रें मिली, तो फिर से हिमायत हो गयी !!

कुछ दबी हुई हसरतें दम तोड़ती थीं
उनकी पलकें झुकीं, तो सारी बेनकाब हो गयी !!

नदी थक कर रवानी छोड़ चुकी थी
किस्मत थी, कि अगले ही मोड़ पर वो समंदर हो गयी !!




Saturday, October 26, 2013

शुन्य करता है इंतजार..

प्रथम अनल द्वापर जल
अन्दर अनल बाहर है जल
जल के बगल में धरा
कहीं जल कहीं धरा
ऊपर लहराता है पवन
धरा को छूता है पवन
पवन को बांधे है गगन
धरा को ढकें है गगन

पंचों मिले तो बने यह तन
कहें इसे मिट्टी का या हवा का ? 
आग भी है समाया तो जल भी है भरा!
शुन्य से आयें सब जाना भी है शुन्य में

है सब में हीं यही फिर भी हैं अलग
कहीं आग ने अपना तेज पकड़ा
तो कहीं जल ने शीतलता दी
कहीं पवन प्रचंड रूप धरा
तो कहीं धरा ने धीरज दी
शुन्य सबका करता है इंतजार
मुस्कुराता है
कब तक भागोगे ?
जाओगे कहाँ ? …….



Tuesday, October 1, 2013

जीने में उतना मज़ा न आता!

फूलों के संग अगर जो काटें न होते, 
तो उन्हें तोड़ने में उतना मज़ा न आता
हँसी के साथ अगर जो थोड़े आँसू न होते,
तो जीने में उतना मज़ा न आता!

नज़र मिला कर जो उन्होंने पलके न झुकाये होते,
तो नज़र मिलाने में उतना मज़ा न आता
रूठने पर अगर जो वो आसानी से मान गए होते, 
तो उन्हें मनाने में उतना मज़ा न आता!

वो अगर जो बताये समय पर हीं आ जाते,
तो उनसे मिलने में उतना मज़ा न आता
हर बात पर अगर जो वो मान जाते,
तो उनसे बात करने में उतना मज़ा न आता!

सफ़र में अगर जो कुछ लोग बिछुड़े न  होते,
तो किसी के साथ होने में उतना मज़ा न आता
ज़िन्दगी की राहें अगर जो बिन भटकाये मंजिल मिला देतीं,
तो उनपे चलने में उतना मज़ा न आता!

वो अगर जो फिर से याद न आये होते,
तो उन्हें भुलाने में उतना मज़ा न आता
मेरे सपनो को वो अगर जो अपनी जागीर न बनाये होते,
तो हर रोज सोने में उतना मज़ा न आता!

हँसी के साथ अगर जो थोड़े आँसू न होते,
तो जीने में उतना मज़ा न आता!