Saturday, December 20, 2014

अब सरकार पे भार हो गया है ग़रीब

अब सरकार पे  भार हो गया है ग़रीब
उसके इज़्ज़त पे मार हो गया है ग़रीब !

भूखा है मगर अभी तक मरा नहीं
ज़िन्दगी का कर्ज़दार हो गया है ग़रीब !

मौज़ूदगी से हर मंज़र को बर्बाद करता
रुतबा-ए-वतन में गद्दार हो गया है गरीब !

नंगे सोना नंगे जागना रोते बिलकते 
सब लाचारी का वफ़ादार हो गया है गरीब !

पटक दो उठा कर कहीं से कहीं भी
हर आजमाईश में बेकार हो गया है ग़रीब !

हटाओ इसे या निगाह फेरो 'शादाब'
हसीं नज़ारों पे पहरेदार हो गया है ग़रीब !

Friday, December 19, 2014

यही सृष्टि क्रम दोहराया जा सके

Frustration by Roy-Ba on DeviantArt
बहुत सारे अहसास आते हैं
मुझसे टकराकर करते हैं "ढब"
दुबारा कोशिश करते हैं
फिर और तेज गूँजता है "ढब"
अब मैं ख़ुशी ख़ुशी कहता हैं
"मैं काठ हो गया हूँ "
"काठ"
भीतर जगह बची नहीं कि खलबली हो सके
इसका मुझे बरसों से इंतज़ार था
अब न गंगाजल पीऊँगा
न नाले का गन्दा पानी
न सोमरस न धूआँ
मैं पूरे का पूरा भर गया हूँ
सहने की सीमा से भी आगे
बाहर भी खाली कुछ नहीं बचा
कि फेकूँ शब्दों के भाले
जो तैरते हुए लगे निशाने पे
निशाने भाले के नोक पे बैठ चुके
और सुनने वालों के कान मेरे कंठ में
नहीं सुनाना अब कुछ भी
कुछ बचा रह गया
तो मात्र जलना
और जलाना सब कुछ
ताकि फिर से
कुछ नहीं से
यही सृष्टि क्रम दोहराया जा सके !

पहले हथियारों की दुकाने बंद हों

 पहले  हथियारों  की  दुकाने  बंद हों
फिर  इंसानियत  के  नारे  बुलंद हों

दोनों हमसफ़र हो ही  नहीं सकते
सराब फरोश   सारे   नज़रबंद  हों

अपने फायदे से मज़बूर हो चुके
वाइज़ों की कैसे भी हो ज़ुबाँ कुंद हो

क़ैद-ए-आराम से बाहर भी हस्ती है
अब तो जागें जिन्हे अमन पसंद हो



लज़्ज़ते खूं से जिसके रहबर मदहोश हो
उस दीन के खिलाफ आवाज़ बुलंद हो

क़त्ल हो कर कहीं रूह न तड़प  उठे 
फरियाद करो ग़म बदन में पाबंद हो

तुम ही गुनहगार, खुद के क़ातिल भी तुम
कबूल लो 'शादाब' कहीं शोहरत न मंद हो !!

सराब फरोश - mirage seller, वाइज़ों- preachers, कुंद - obtuse, रहबर - guide

Wednesday, December 17, 2014

सिकुड़ते हुए कमरे में मैं बड़ा हुए जाता हूँ

'Worn Out' painting by Vincent van Gogh
सिकुड़ते हुए कमरे में मैं बड़ा हुए जाता हूँ
ख़्यालों में अपने क्या से क्या हुए जाता हूँ

परछाईओं के रास्ते पे अपना बसर है होता
न चाह कर भी इनका हिस्सा हुए जाता हूँ

आई सबा लेकर नुस्खा राहत की मगर
ग़म की लत ऐसी कि परवाना हुए जाता हूँ

झूठा-झूठा चिल्लाकर सत्य खोज़ता फिरा
मगर  जहाँ से चला था वहीँ का हुए जाता हूँ

अपनी मस्ती में फिरता रहा नगर नगर
लगता है हर नगर से पराया हुए जाता हूँ

एक पेड़ की छाव अब भी है राह तकती मगर
जाता नहीं सोच कर कि अब बड़ा हुए जाता हूँ

सवारी को बादलों ने सीढ़ी गिरायें मगर देर से
उड़ने की जो ठानी तो परिन्दा हुए जाता हूँ

मेरे क़ातिल की महफ़िल यह सुन उदास हुई
कि ग़म से निज़ाद पा मैं फिर ज़िंदा हुए जाता हूँ

खोद सको तो मेरे हर ज़ख्म खोदो 'शादाब'
फिर देखो कैसे मैं खुद ही दवा हुए जाता हूँ!!

Sunday, December 14, 2014

कदम कदम पे हमें छला उसने

कदम कदम पे हमें छला उसने
धीरे धीरे हमें पूरा बदला उसने

रंग बिरंगे फूल थे हमारे दामन में
एक एक करके सब छिना उसने

नशे की चादर पहना कर हमें
सोने को जागना बताया उसने

हिस्से में है अब कुछ यादे अपनी
ज़िन्दगी को तो ख़ाब बनाया उसने

हमारी नादानी थी जो भरोसा किया
विश्वास का खेल खूब रचाया उसने

अपने ही घर में नौकर हो गयें
हमें क्या से क्या बनाया उसने

अपनी खुशज़िन्दगी की किताब जो सौपी
तो हरेक पन्ने को ग़लत बताया उसने

देर सही मगर जो समझा  हिसाब
हमें पागल कहके पुकारा उसने

Thursday, December 11, 2014

कितने किनारों को छोड़ बढ़ते रहे

कितने किनारों को छोड़ बढ़ते रहे
ख़यालों में हम क्या क्या गढ़ते रहे

दूर होते होते नज़र से ओझल हुए
एक दूजे की गलतियाँ ही गिनते रहे

ज़माने को लगा ताल्लुकात है मगर
एक दुसरे से नज़र बचा के चलते रहे

बात होती तो कुछ बात बनती, यहाँ
खुद पे कभी तुम पे आरोप जड़ते रहे

बहार के मौसम फिर कहाँ आयें
तेरे बोये बीज पे तो पानी डालते रहे

वो शाख फिर कभी झुकी ही नहीं
हम लाख रस्सियाँ फेकते रहे

उन अंधेरों ने फिर बहुत सताया हमें
तेरी रोशनी में जिन्हे ललकारते रहे

Wednesday, December 10, 2014

मोहब्बत से मिलो तुझमें समा जाएगी दुनिया

२०१४ के शांति के नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और मलाला को ढेरों बधाई -



नफ़रत से देखोग तो नफरत दिखाएगी दुनिया
मोहब्बत से मिलो तुझमें समा जाएगी दुनिया

अमन और चैन की हवा हर ओर चलती है
चाहोगे तो हर एक दिवार गिराएगी दुनिया

कोई कमज़ोर कहीं अकेला छूट न जाये
औरों को संभालोगे तो तुम्हे संभालेगी दुनिया

सत्य किसी गुफा में छुप कर नहीं बैठता
अपने नक़ाब हटाओ सत्य दिखाएगी दुनिया

जिन्हे ज़रुरत है संग उनके त्यौहार मनाओ
तुम्हारे जीवन को उत्सव बनाएगी दुनिया

- शादाब
10/12/2014