मौत से पहले दर्द का हिसाब क्यूँ
तेरे होने पे भी मिज़ाज ख़राब क्यूँ
घर यादों में बना लूँ तेरे बिना फिर भी
दरीचों से झाकने को दिल बेताब क्यूँ
वस्ल का महताब आज भी है शर्माता
जुदाई पे बेबाक हुआ आफ़ताब क्यूँ
अँधेरों के राज़ अँधेरे में हैं दम तोड़ते
इस उजाले पे फ़िजूल हिजाब क्यूँ
हक़ीक़त के शिकंजे में रोती है रूह
ख़ाबों के परों में आया शबाब क्यूँ
गर्दिशों ने चखाया हमें अब्रों शराब
वाइज़ पूछे तो भी दूँ जवाब क्यूँ
तेरे होने पे भी मिज़ाज ख़राब क्यूँ
घर यादों में बना लूँ तेरे बिना फिर भी
दरीचों से झाकने को दिल बेताब क्यूँ
वस्ल का महताब आज भी है शर्माता
जुदाई पे बेबाक हुआ आफ़ताब क्यूँ
अँधेरों के राज़ अँधेरे में हैं दम तोड़ते
इस उजाले पे फ़िजूल हिजाब क्यूँ
हक़ीक़त के शिकंजे में रोती है रूह
ख़ाबों के परों में आया शबाब क्यूँ
गर्दिशों ने चखाया हमें अब्रों शराब
वाइज़ पूछे तो भी दूँ जवाब क्यूँ