सोचूँ सम्भालूँ उससे पहले हमारे इमाम चल पड़ें
बड़ी बेसब्र थी मंज़िल सो संग-ए-जाम चल पड़ें
कुछ दूर ही साथ चल सका फूलों का कारवाँ
अकेले में जो पुकारा तो कांटें तमाम चल पड़ें
बेअसर थें उफ़क़ के इशारे, बादलों की दहाड़
मन में ठानी तो हौसला-ए-नाकाम चल पड़ें
मंज़रों में गुमनामी भी थी और बदनामी भी
वहशत-ए-बेनामी हम करके नीलाम चल पड़ें
मैक़दे के बेवक़्त बंद होने की खबर जो फैली
हर एक फिरके के मजमा-ए-आम चल पड़ें
नेकियों के सहरा में भी ईमान पे नज़र रही
ये अलग था दस्तूर सो कई इल्ज़ाम चल पड़ें
खुद से गुफ़्तगू को तवज्जो मिली कुछ ऐसे कि
रास्तें में रंग रूप बदलते कई मक़ाम चल पड़ें !!