अब सरकार पे भार हो गया है ग़रीब
उसके इज़्ज़त पे मार हो गया है ग़रीब !
भूखा है मगर अभी तक मरा नहीं
ज़िन्दगी का कर्ज़दार हो गया है ग़रीब !
मौज़ूदगी से हर मंज़र को बर्बाद करता
रुतबा-ए-वतन में गद्दार हो गया है गरीब !
नंगे सोना नंगे जागना रोते बिलकते
सब लाचारी का वफ़ादार हो गया है गरीब !
पटक दो उठा कर कहीं से कहीं भी
हर आजमाईश में बेकार हो गया है ग़रीब !
हटाओ इसे या निगाह फेरो 'शादाब'
हसीं नज़ारों पे पहरेदार हो गया है ग़रीब !
उसके इज़्ज़त पे मार हो गया है ग़रीब !
भूखा है मगर अभी तक मरा नहीं
ज़िन्दगी का कर्ज़दार हो गया है ग़रीब !
मौज़ूदगी से हर मंज़र को बर्बाद करता
रुतबा-ए-वतन में गद्दार हो गया है गरीब !
नंगे सोना नंगे जागना रोते बिलकते
सब लाचारी का वफ़ादार हो गया है गरीब !
पटक दो उठा कर कहीं से कहीं भी
हर आजमाईश में बेकार हो गया है ग़रीब !
हटाओ इसे या निगाह फेरो 'शादाब'
हसीं नज़ारों पे पहरेदार हो गया है ग़रीब !