कुछ नहीं तो दिल में बेकरारी पालो
चन्द लम्हे हैं दामन में दिलदारी पालो
कल देखा परिन्दे यूँ गुनगुना रहे थे
"ज़मीं छोड़ो फिर मस्ती हमारी पालो"
छुप कर ज़िन्दगी भी क्या जीना
जो हो सरे आम दोस्ती यारी पालो
सारे ख़ज़ाने यहीं मिट्टी में मिल जायेंगे
अपने लिए कुछ नहीं तो खुद्दारी पालो
खुदा के वास्ते बख्श दो मैखाने को
इस खुमारी में तो न खिदमतदारी पालो
आओ चलो जश्न मनाते है बर्बादी का
ग़म से लड़ने को दिल बादखारी पालो
मैय्यत में देखा उसके चेहरे पे ख़ुशी
तुम भी 'शादाब' कुछ वैसी बीमारी पालो
चन्द लम्हे हैं दामन में दिलदारी पालो
कल देखा परिन्दे यूँ गुनगुना रहे थे
"ज़मीं छोड़ो फिर मस्ती हमारी पालो"
छुप कर ज़िन्दगी भी क्या जीना
जो हो सरे आम दोस्ती यारी पालो
सारे ख़ज़ाने यहीं मिट्टी में मिल जायेंगे
अपने लिए कुछ नहीं तो खुद्दारी पालो
खुदा के वास्ते बख्श दो मैखाने को
इस खुमारी में तो न खिदमतदारी पालो
आओ चलो जश्न मनाते है बर्बादी का
ग़म से लड़ने को दिल बादखारी पालो
मैय्यत में देखा उसके चेहरे पे ख़ुशी
तुम भी 'शादाब' कुछ वैसी बीमारी पालो
1 comment:
जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 22/07/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
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