Friday, July 26, 2019

दोस्तों में अपनी भी शुमारी थी

दोस्तों में अपनी भी शुमारी थी
थी, जब तलक हममे खराबी थी

एक बूँद फिर ज़मीं में खो गयी
प्यासी चिड़िया को बड़ी हैरानी थी

अहले इश्क़ में सुकून किसको यहाँ
जो तबियत तुम्हारी है कभी हमारी थी

कितने आयें संग कितने जुदा हुए
कहीं मजबूरी तो कहीं होशियारी थी

उसकी हँसी रुक भी जाती मगर
एक अरसे आँख आसूँओ से भारी थी

नियत तुम्हारी "शादाब" कैसे छुपती
दिलो-दिमाग में तो काफी दूरी थी!!