एक सबल एक तेज
जीवन मृत्यु का कैसा खेल?
एक बल से जान ले, अपना भूख मिटाता
एक तीव्रता से, कई बार अपनी जान बचाता!
सबल सर्वदा अजेय
नहीं
तेज हमेशा हीं विजय नहीं!
कभी सबल भूख से मरता
कभी तेज जान से बचता!
जीवन मृत्यु के इस खेल में
दोनों ने ही शत्रु बदले
हैं
जीत पे एक ने भूख मिटाई,
दूजे ने प्राण
गवाये हैं!
इस प्रकृति की रचाना में,
न कोई दोष,
न निर्दोष
यह प्रकृति प्रवाह
है
जीना एक मात्र चाह है!
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