वह मुझमें हीं कहीं खो गया है
कोई और था जो मेरा हो गया है
अब नज़र नहीं मिलाता मुझसे
मगर मेरी आँखों से रो गया है
किसी के इंतज़ार में देर रात तक
जाग कर फिर मुझमें सो गया है
प्यार से बुलाओ शायद लौट आये
अभी अभी रूठ कर जो गया है
वो दीवाना इधर से भी गुजरा है शायद
इस बंजर में भी बीज बो गया है
हक़ सभी जताते हैं उस पर मगर
खुद नहीं जानता वो किसका हो गया है
बरसों से लोग उसे पागल कहते हैं
मगर कोई नहीं जनता क्यूँ हो गया है
ज़िन्दगी में अब डरना किससे 'शादाब'
जो हादसा होना था सो हो गया है
कोई और था जो मेरा हो गया है
अब नज़र नहीं मिलाता मुझसे
मगर मेरी आँखों से रो गया है
किसी के इंतज़ार में देर रात तक
जाग कर फिर मुझमें सो गया है
प्यार से बुलाओ शायद लौट आये
अभी अभी रूठ कर जो गया है
वो दीवाना इधर से भी गुजरा है शायद
इस बंजर में भी बीज बो गया है
हक़ सभी जताते हैं उस पर मगर
खुद नहीं जानता वो किसका हो गया है
बरसों से लोग उसे पागल कहते हैं
मगर कोई नहीं जनता क्यूँ हो गया है
ज़िन्दगी में अब डरना किससे 'शादाब'
जो हादसा होना था सो हो गया है
-पंकज कुमार 'शादाब'
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