दोस्तों में अपनी भी शुमारी थी
थी, जब तलक हममे खराबी थी
एक बूँद फिर ज़मीं में खो गयी
प्यासी चिड़िया को बड़ी हैरानी थी
अहले इश्क़ में सुकून किसको यहाँ
जो तबियत तुम्हारी है कभी हमारी थी
कितने आयें संग कितने जुदा हुए
कहीं मजबूरी तो कहीं होशियारी थी
उसकी हँसी रुक भी जाती मगर
एक अरसे आँख आसूँओ से भारी थी
नियत तुम्हारी "शादाब" कैसे छुपती
दिलो-दिमाग में तो काफी दूरी थी!!
थी, जब तलक हममे खराबी थी
एक बूँद फिर ज़मीं में खो गयी
प्यासी चिड़िया को बड़ी हैरानी थी
अहले इश्क़ में सुकून किसको यहाँ
जो तबियत तुम्हारी है कभी हमारी थी
कितने आयें संग कितने जुदा हुए
कहीं मजबूरी तो कहीं होशियारी थी
उसकी हँसी रुक भी जाती मगर
एक अरसे आँख आसूँओ से भारी थी
नियत तुम्हारी "शादाब" कैसे छुपती
दिलो-दिमाग में तो काफी दूरी थी!!
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