A mind-blowing lyrics which didn't let me sleep until I wrote it in my own words....Here are both
Neem ka Ped Title track
“Mu ki baat sune har koi”
Sung by Jagjit Singh
Lyrics: Nida Fazli
Music: Jagjit Singh
The Lyrics goes like this:
मुंह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन ,
आवाजों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन ?
सदियों – सदियों वही तमाशा
रस्ता- रस्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं ,
खो जाता है जाने कौन ?
वो मेरा आइना है और ,
मैं उसकी परछाई हूँ
मेरे ही घर में रहता है ,
मुझ जैसा ही जाने कौन ?
किरण किरण अलसता सूरज
पलक पलक खुलती नींदें
धीमे धीमे बिखर रहा है
जर्रा – जर्रा जाने कौन ?
मुंह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन ,
आवाजों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन ?
My words-
मुँह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन
हँसते हैं सब महफिलों में
छत पे जाने रोता कौन
उठती हैं तारीफ़ें शब में
सहर पे होता कुरबां कौन
झुकती पलकें समझ ना पायें
छिपी हया को माने कौन
रहता है वो साँसों में जब
यादों में अब आये कौन
जल-जल के भी वो मिट ना सका
होता फ़ना अब जाने कौन
बुझते दीप को संभाला था तब
बुझता हूँ अब जलाये कौन
मुह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन ….
Neem ka Ped Title track
“Mu ki baat sune har koi”
Sung by Jagjit Singh
Lyrics: Nida Fazli
Music: Jagjit Singh
The Lyrics goes like this:
मुंह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन ,
आवाजों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन ?
रस्ता- रस्ता लम्बी खोज
लेकिन जब हम मिल जाते हैं ,
खो जाता है जाने कौन ?
वो मेरा आइना है और ,
मैं उसकी परछाई हूँ
मेरे ही घर में रहता है ,
मुझ जैसा ही जाने कौन ?
किरण किरण अलसता सूरज
पलक पलक खुलती नींदें
धीमे धीमे बिखर रहा है
जर्रा – जर्रा जाने कौन ?
दिल के दर्द को जाने कौन ,
आवाजों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन ?
My words-
मुँह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन
हँसते हैं सब महफिलों में
छत पे जाने रोता कौन
उठती हैं तारीफ़ें शब में
सहर पे होता कुरबां कौन
झुकती पलकें समझ ना पायें
छिपी हया को माने कौन
रहता है वो साँसों में जब
यादों में अब आये कौन
जल-जल के भी वो मिट ना सका
होता फ़ना अब जाने कौन
बुझते दीप को संभाला था तब
बुझता हूँ अब जलाये कौन
मुह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन
आवाज़ों के बाज़ारों में
ख़ामोशी पहचाने कौन ….
4 comments:
One more nice work PK, keep it up.
आशा करता हूँ यह आप तक पहुंचे. निदा फाजली को खोजते हुए यहाँ आ गया. आप का लिखा पढने को मिला . क्या बात है !
आशा करता हूँ यह आप तक पहुंचे. निदा फाजली को खोजते हुए यहाँ आ गया. आप का लिखा पढने को मिला . क्या बात है !
शुक्रिया, मैं भी ऐसे ही "नीम का पेड़" किताब की खोज में भटकते हुए इस गाने तक पहुँचा था. गाना वाकयी में लाजवाब है।
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