क्या हुआ जो मौक़ा तुम्हे मिला इसबार
अगली बार को तिजोरी हम भी लगा रखे हैं
अगली बार को तिजोरी हम भी लगा रखे हैं
लूटने का मुहूर्त नहीं धोखे की सज़ा नहीं
ज्योतिसों के आगे हथेली हम भी फैला रखे हैं
ज्योतिसों के आगे हथेली हम भी फैला रखे हैं
बेहतर है पारी पारी से जल्दी जल्दी लूटें
इस ख़ामोशी में कुछ को हम भी सुला रखे हैं
क्या सड़क क्या बाज़ार क्या गली कूचे
पूरे शहर को बंदर हम भी बना रखे हैं
पूरे शहर को बंदर हम भी बना रखे हैं
सब्र करो कि भोर ये हुई वो हुई
अकुलाते लोगों को पैसा हम भी खिला रखे हैं
अकुलाते लोगों को पैसा हम भी खिला रखे हैं
जागोगे तो हसीं ख़ाबों में खलल पड़ेगा
रंग बिरंगे सपने "शादाब" हम भी सजा रखे हैं
रंग बिरंगे सपने "शादाब" हम भी सजा रखे हैं
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