Painting by Vincent van Gogh |
मरने से पहले ही मरे जा रहे हैं
ज़िन्दगी का अजीब दौर है यह
जो भी काम मिला करे जा रहे हैं
काँटों ने इल्ज़ाम क्या लगाया
फूलों के रास्ते भी बुहारे जा रहे हैं
हौसले की बुनियाद रिसी भी नहीं
हौसले की बुनियाद रिसी भी नहीं
नये मकान तक भरे जा रहे हैं
आईने में अपनी शक्ल देखी भी नहीं
आईने में अपनी शक्ल देखी भी नहीं
कि घबरा कर खुद से परे जा रहे हैं
हमें मालूम है बिखरने की हद
हमें मालूम है बिखरने की हद
तब भी सँवरने से डरे जा रहे हैं
कोई तो ग़लती निकालो हिसाब में
कोई तो ग़लती निकालो हिसाब में
'शादाब' ढेरों इल्ज़ाम मरे जा रहे हैं
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