बर्फ सी ठंढी रात में
उस अधूरे खंडहर में
जलती रही आग
गूँजते रहें वो ठहाके
और दब गयी एक चीत्कार
उस अधूरे खंडहर में !
क़त्ल हुआ एक साहस का
एक पहल का
बुलन्द-बेधड़क एक स्वाभिमान का
दागदार हुआ, एक रास्ता
जो बना था कई बंधन तोड़ कर
बाहर आने से, उस दहलीज को पार करने से
जो शादियों से अपने विस्तार पर अकड़ता था
एक उम्मीद की किरण एक कोने से
मिटा दी गई
फिर, समेट ली गयीं अनगिनत पुलकित किरणें
एक भय से
उस खबर से
कि, दब गयी एक चीत्कार
उस अधूरे खंडहर में !
उस अधूरे खंडहर में
जलती रही आग
गूँजते रहें वो ठहाके
और दब गयी एक चीत्कार
उस अधूरे खंडहर में !
क़त्ल हुआ एक साहस का
एक पहल का
बुलन्द-बेधड़क एक स्वाभिमान का
दागदार हुआ, एक रास्ता
जो बना था कई बंधन तोड़ कर
बाहर आने से, उस दहलीज को पार करने से
जो शादियों से अपने विस्तार पर अकड़ता था
एक उम्मीद की किरण एक कोने से
मिटा दी गई
फिर, समेट ली गयीं अनगिनत पुलकित किरणें
एक भय से
उस खबर से
कि, दब गयी एक चीत्कार
उस अधूरे खंडहर में !
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