मुझे यकीन है
मैं खुद को ढूँढ लूँगा
तुम्हे ढूँढ़ते ढूँढ़ते
खोया भी तो था
ऐसे हीं
तुम्हे खोते खोते
तुम्हे भूलते भूलाते
बस अफ़सोस इतना है कि
कुछ वक़्त हाथ से निकल गया
इन सब के दौरान
जो शायद फिर नहीं आने वाला
लोगों का मानना है, वो मेरी उम्र थी
जो निकल गयी
मगर कौन जाने, खुद के मिलने पर
उसका भी मन बदले
फिर जवानी खिले रंग भरे
"आखिर जन्म और मौत
दो ही तो लकीरें है जीवन में
बाकी के पड़ाव तो मानने की चीज़े हैं"
सारे रिश्ते वैसे ही हैं
वहीँ पे सोते
कभी कभार जम्हाई लेते
जब भी परिस्थितियों की सर्द हवा
गुजरती है उधर से
मगर मुझे यकीन है
खुद से खुद के मिलने का
अबके मौसम बदलते ही!!
मैं खुद को ढूँढ लूँगा
तुम्हे ढूँढ़ते ढूँढ़ते
खोया भी तो था
ऐसे हीं
तुम्हे खोते खोते
तुम्हे भूलते भूलाते
बस अफ़सोस इतना है कि
कुछ वक़्त हाथ से निकल गया
इन सब के दौरान
जो शायद फिर नहीं आने वाला
लोगों का मानना है, वो मेरी उम्र थी
जो निकल गयी
मगर कौन जाने, खुद के मिलने पर
उसका भी मन बदले
फिर जवानी खिले रंग भरे
"आखिर जन्म और मौत
दो ही तो लकीरें है जीवन में
बाकी के पड़ाव तो मानने की चीज़े हैं"
सारे रिश्ते वैसे ही हैं
वहीँ पे सोते
कभी कभार जम्हाई लेते
जब भी परिस्थितियों की सर्द हवा
गुजरती है उधर से
मगर मुझे यकीन है
खुद से खुद के मिलने का
अबके मौसम बदलते ही!!
5 comments:
बहुत सुन्दर।
वाह!!बहुत खूब!
वाह बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर ...भावपूर्ण...
किसी के खोने पर खुद को खो दिया
भान आया है अब तो पा लिए हो
गुजरे वक्त से गिला करना
जब जागो तभी सबेरा
It seems. Aapne jeevan ko bhit kareeb se dekha hai.... Great.. Iss duniya mein aise bhot kam hi hote hai..
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