चिंगारी है तो फिर आग क्यूँ नहीं बनती
कुछ चल पड़े फिर भीड़ क्यूँ नहीं चलती !!
आसमान धुयें का है या धुआँ आसमान
ऊपर की और निगाह क्यूँ नहीं ठहरती !!
कब तलक देखते रहेंगी यूं तमाशा
जनता खुद ही किरदार क्यूँ नहीं बनती !!
तुम भी हो हम भी हैं वक़्त भी सही है
फिर बातों बातों में बात क्यूँ नहीं बनती !!
इंतज़ार में उम्र है रास्ते पे निगाह
ये बात मंज़िल तक क्यूँ नहीं पहुचती !!
दिन और आएंगे शाम जलती रहेगी
इसी खबर से रात क्यूँ नहीं गुज़रती !!
कुछ चल पड़े फिर भीड़ क्यूँ नहीं चलती !!
आसमान धुयें का है या धुआँ आसमान
ऊपर की और निगाह क्यूँ नहीं ठहरती !!
कब तलक देखते रहेंगी यूं तमाशा
जनता खुद ही किरदार क्यूँ नहीं बनती !!
तुम भी हो हम भी हैं वक़्त भी सही है
फिर बातों बातों में बात क्यूँ नहीं बनती !!
इंतज़ार में उम्र है रास्ते पे निगाह
ये बात मंज़िल तक क्यूँ नहीं पहुचती !!
दिन और आएंगे शाम जलती रहेगी
इसी खबर से रात क्यूँ नहीं गुज़रती !!