Thursday, June 19, 2014

फरियाद

जहां को इक खुबसूरत दुल्हन कर दे
तू पलकें उठा और इसे रोशन  कर दे

कब तलक रहेगा बेनाम बेहुस्न ज़माना
अपने अक्स-ए-हुस्न से सब दफ़न कर दे

ज़हर लिए फिरता है हर ज़बान यहाँ
लबों पे किमाम, अल्फ़ाज़ शेरो सुखन कर दे

हर कोई अपना हर कोई मेहरबाँ
ज़िन्दगी में रंग रहे किसी को तो दुश्मन कर दे

बेज़ार फिजायें बेरंग समां बेमन सबा
इक उम्र के लिए इस बस्ती को गुलशन कर दे

बचपन की यादें छेड़ती हैं जवानी की सफर में
हर शहर को बाग़ हर ईमारत को जामुन कर दे

यादों के रास्ते सदायें चली आती हैं उसकी
कभी खुशबू भी आये कोई मोड़ चन्दन कर दे
  

No comments: