Wednesday, July 15, 2020

अजीब लगती हैं वो आँखें

माना कि उससे बहुत प्रेम है
उसकी आँखों में जान बसता है

फिर भी रात के वक्त 
कभी एक क्षण ऐसा भी आता है 
जब नींद 
हमारी पलकों पे करवटें ले रही होती है
मगर हम टहल रहे होते हैं
या फिर बेड पे बैठे धीमे धीमे हिल रहे होते हैं
गोद में लिए उस नन्ही जान को 

एक कोशिश में मशगूल
एक मिशन पे....
और काफ़ी देर बाद 
जब एक ठहराव सा लगता हैतो 
अपने कोशिश के अंजाम को देखने 
हम देखते हैं एक उम्मीद के साथ
उस हसीन चेहरे कोऔर 
वो आँखें..
वो आँखें
जो हमें वापस देख रही होती हैं हमारी ओर 
टूकूर-टूकूर
बड़ी अजीब लगती हैं वो आँखें
उस वक्त...
उड़ा देती है हमारी पलकों से 
नींद की चिड़ियाँ को
ले आती हैं शिकन हमारे माथे पे,
और उनमें दिखती हैं हमारी हार
उस कोशिश की

हम मुस्कुरा देते हैं अपनी हार पे
फिर चूम लेते हैं उसके ललाट को
लग जाते हैं फिर 
उसी कोशिश में!!

पंकज कुमार “शादाब
~१३/०७/२०२०

1 comment:

Madhulika Patel said...

बहुत भावपूर्ण रचना ।