Sunday, March 9, 2014

एक डर है

एक डर है
जो चाहा उसके न मिलने का
जो न चाहा उसके हो जाने का

एक डर है
जो कमाया उसके खो जाने का
जो छोड़ा उसके मिल जाने का

एक डर है
जो बनाया उसके गिर जाने का
जो गिराया उसके उठ जाने का

एक डर है
साथी के सफ़र में छूट जाने का
एक मोड़ पे रास्ता ख़त्म हो जाने का

एक डर है
जिसे तराशा उसके टूट जाने का
जिसे सराहा उसके चूभ जाने का

एक डर है
बेवक़्त चिराग के बुझ जाने का
बेसबब सबकुछ बिखर जाने का

एक डर है
साँसों के बेजुबाँ हो जाने का
धड़कनों का बेलगाम हो जाने का

एक डर है
तन्हाई में खुद के खो जाने का
मुझसे तन्हाई का रूठ जाने का

एक डर है
चश्में जज़्बात के सूख जाने का
सर्द एहसास के जम जाने का

एक डर है
इस डर से डर कर रुक जाने का
इस डर का ज़हन में घर कर जाने का

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