Saturday, December 7, 2013

Ek Ruhani Sukoon Hai

वो चंचल है
वो बुलबुल है
कमाल की चाल
वो हिरनी है

वो अपने में मस्त
मस्तानी मौज़ है
तारों जैसे टिमटिमाती
घास पर जमी ओस है

वो पूस में निकली
सुहानी धुप है
इतनी सिद्दत से तराशी गयी
एक मात्र रूप है

वो प्रेमी की चिट्ठी में बसी आस है
चिट्ठी पढ़ती प्रेमिका की मुस्कान है

बादलों की गोद से निकली
गतिमान बूँद है
प्यासी धरती की
बची हुई आस है

रोते बच्चे की इंतज़ार है
माँ की ममता का अहसास है

दूर से सुने पहाड़ों तक पहुँची
हवा का ऐतबार है
संग में लाये खुशबू की सौगात है

वो तन्हाई में साथ रहती
तसव्वुर में ही हरदम मिलती
हकीकत न सही, मगर
वो एक रूहानी सुकून है !

No comments: