Tuesday, September 30, 2014

कुछ दोस्त कुछ दुश्मन यहाँ आये जा रहे हैं

कुछ दोस्त कुछ दुश्मन यहाँ आये जा रहे हैं
'Starry Night Over the Rhone' by  Vincent van Gogh
कैसी कशमकश में ज़िन्दगी बिताये जा रहे हैं

हसीं सफर ये अपना कभी न ख़त्म होगा
हर मंज़िल को हम ठेंगा दिखाये जा रहे हैं

आसमानो अपनी झोली फैला कर रखो
कारवाँ के दीवाने खजाना लुटाये जा रहे हैं

पाक मक़सद के परवानो का अंजाम और कैसा 
पीछे आएगा ज़मान सो चिराग़ जलाये जा रहे हैं

रात को डराने का उपाय सूरज करे सो करे
हम तो अपनी हैसियत से अँधेरा जलाये जा रहे हैं

यारों की महफ़िल लगेगी फिर आसमानों में
सितारों को सजने की मोहलत दिये जा रहे हैं

3 comments:

kuldeep thakur said...

सुंदर प्रस्तुति...
दिनांक 2/10/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर

संजय भास्‍कर said...

Every word is an expression Beautiful composition

Unknown said...

Bahut hi umdaa prastuti ...lajawaab !!