Tuesday, January 28, 2014

पुराना आईना टूट गया

"बिलकुल मेरी हंसी हँसता था, मेरे संग गाता था 
   टूट गया तब जाना, वो तो एक आईना था ! "

पल भर के झगड़े में, पुराना आईना टूट गया
मिलते थे हर रोज़ जिससे, वो अपना छूट गया !

घर हो गया छोटा, बड़ी हो गयीं दीवारें सारी
जनता था जो मुझे मुझसे ज्यादा, वो शख्स कहीं खो गया !

उस आईने में समाये थे न जाने कितने आईने 
टूट कर मुझे न जाने कितने रूप दिखा गया !

मुद्दतों रहा साथ मेरे, फिर भी अहमियत न जान पाया
टुटा वो इस कदर कि मुझे मेरी हैसियत बता गया !

टूटने के बाद ही सही, सोचा अब सम्भाला जाए
काट कर ऊँगली वो मेरी, बची नाराज़गी जता गया !

1 comment:

mad_mumbler said...

घर में एक आईना ही है जो इंसान के अकेलेपन को रोज़ाना महसूस करता है,
आईना तोड़कर कई तस्वीरों को देखने का क्या रवायत है?
न जाने कब तक इंसान आईनो को तोड़ कर अपनी तन्हाई दूर करेगा ?