रेडी-मेड ज़िन्दगी और पके-पकाये ख्वाब बिकने लगें
सड़को पर नाचते-गाते वादों की चादर बिछने लगें !
दीमक लगी किवाड़ भस-भसा के गिरने लगी
और वे कहतें हैं खुली हवा के लिए दरवाजे खुलने लगें !
कहीं पे मौत चिल्लाने लगी लाशे फड़-फड़ाने लगीं
वहीँ झूमने लगे कदम, शामियानों में दरबार लगने लगें !
खुली हवाओं में है बन रहे सपनों के किलें यहाँ
बातों के पेड़ों पे हर समस्या का समाधान झूलने लगें !
गले में जब तब नमी है चिल्ला लो जितना बन सके
माइक है सामने तुम भी अब टीवी में दिखने लगे !
जो है जैसा वैसा हीं रहेगा यह तो पहले से है लिखा
अब तो नफा नुक्सान के आगे, खानदानी व्यपार चलने लगें !
सड़को पर नाचते-गाते वादों की चादर बिछने लगें !
दीमक लगी किवाड़ भस-भसा के गिरने लगी
और वे कहतें हैं खुली हवा के लिए दरवाजे खुलने लगें !
कहीं पे मौत चिल्लाने लगी लाशे फड़-फड़ाने लगीं
वहीँ झूमने लगे कदम, शामियानों में दरबार लगने लगें !
खुली हवाओं में है बन रहे सपनों के किलें यहाँ
बातों के पेड़ों पे हर समस्या का समाधान झूलने लगें !
गले में जब तब नमी है चिल्ला लो जितना बन सके
माइक है सामने तुम भी अब टीवी में दिखने लगे !
जो है जैसा वैसा हीं रहेगा यह तो पहले से है लिखा
अब तो नफा नुक्सान के आगे, खानदानी व्यपार चलने लगें !
3 comments:
good one
अद्भुत भाव.... सुन्दर अभिव्यक्ति
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